आज
कल न्यूज़ मीडीया मे इराक़ी न्यूज़ काफी दिखाई जा रही है जिसमे इस बात पर
ज़ोर दिया जा रहा है के इराक़ मे आतंकवादी हमले मे लैस ISIS / ISIL एक
सुन्नी कट्टरपंथी गिरोह है और इस गिरोह के ज़द पर शीया मुसलमान है।
आइये पेहले हम ये जान ले की ISIS / ISIL है कौन?
आइये पेहले हम ये जान ले की ISIS / ISIL है कौन?
सन
२०१० मे जब अरब ममालिक मे बगावत की एक लहर उठी थी जिसे "अरब स्प्रिंग" के
नाम से भी जाना जाता है, उस वक़्त अमेरिका ने ये कोशिश की के किसी तरह
सिरिया मे बशर अल असद की हुकूमत को भी हटा दिया जाए और इसका पूरा ज़िम्मा
अवाम पर रख कर सत्ता पलट किया जाए। इस सिलसिले मे अमेरिका ने अवाम को
भड़काना शुरू किया और कुछ शहरों मे छोटी मोटी बगावती रेलियाँ निकाली गई।
लेकिन इन सब से असद की हुकूमत को कोई फ़र्क़ नहीं पढ़ा। इससे परेशान हो कर
अमेरिका ने कुछ गिरोहो को हथियार मुहैय्या करना शुरू कर दिये।
शुरू
के दौर मे बहोत काम लोगो तक ये हथियार पहुच पाए और बाग़ी गिरोह बहोत आगे
नहीं बढ़ पा रहा था। इसलिये अमेरिका ने दूसरे अरब ममालिक मसलन सौदी अरब,
क़तार, जॉर्डन, कुवैत, टर्की और कई दीगर मुल्को से सिरिया मे लड़ने के लिये
अफराद, पैसे और असलहा फराहम करने के लिये मदद ली। टर्की ने अपनी पूरी सरहद
इन आतंकवादियो के लिये खोल दी और साथ मे सिरिया की सेना पर कुछ हद तक
बमबारी भी की। धीरे धीरे ये आतंकवादी बड़े गिरोह मे तब्दील हो गए और पूरे
सिरिया मे आतंक फैलाने मे कमियाब होने लगे।
सिरिया
की फ़ौज ने जब तक पूरी तरह से लड़ने का मन बनाया, उस वक़्त तक बाग़ी गिरोह
सारे सिरिया मे अपनी पकड़ बनाने मे कमियाब हो गया था। जब फ़ौज और बाग़ी
गिरोह मे जंग शुरू हुई, तो सिरिया की फ़ौज को बहोत मुश्किलो का सामना करना
पढ़ रहा था। जंग जब लेबनान की सरहद के क़रीब अल-क़ुसैर नामी इलाक़े मे जारी
थी, उस वक़्त इस्राइल और दीगर ममालिक बाग़ियो की सीधे मदद कर रहे थे। ऐसे
मे सिरिया फ़ौज को बहोत मुश्किलों का सामना था। ऐसे मे लेबनान की जंगजू
फ़ौज हिज़बूल्लाह ने सिरिया की फ़ौज का साथ दिया और बाग़ियों को क़ुसैर मे
हार का सामना करना पढ़ा। इस वक़्त से सिरिया की फ़ौजे जीत के साथ आगे बढ़ने
लगी।
बाग़ी
गिरोह ने इस वक़्त तक अपना नाम "इस्लामिक स्टेट इन इराक़ आंड सिरिया"
(ISIS) रख लिया था। और इनके साथी गिरोह ने अपने आप को "जबत अल नुसरा" के
नामे से मशहूर किया। ये दोनो गिरोह अमेरिका और इस्राइल से सीधे मदद लेते और
सिरिया की फ़ौजो और अवाम पर हमला करते।
सिरिया
मे ६०% अवाम सुन्नी है और तक़रीबन १२% शीया; इस गृह युद्ध (Civil war) का
सीधा असर इन्ही अवाम पर पढ़ा जिनमे अक्सर सुन्नी मुसलमान शामिल थे। इन
आतंकवादियों ने अवाम मे बच्चो तक तो नहीं बक्शा। जैसा के सब को मालूम है
आतंकवादियों ने अमेरिका और इस्राइल की मदद से रसायनिक असलहा (Chemical
weapons) को भी इस्तेमाल किया जिसमे कई बच्चे, जवान और बूढो की जाने गई।
ये
किस तरह के सुन्नी है जो सुन्नी अवाम को भेड़ बकरियों की मानिंद क़त्ल कर
रहे है? ये कैसे सुन्नी है जिनकी मुखालिफत दुनिया के तमाम सुन्नी कर रहे
है? ये कैसे सुन्नी है जो सहबा, आवलिया और दीगर मुक़द्दस मक़ामात की
इज़्ज़त किये बगेर इन्हे तबहो बर्बाद कर रहे है? अस्ल मे देखा जाए तो ये
सुन्नी मुसलमान नहीं बल्कि अमेरिकी मुसलमान है जिनका दीन और ईमान अमेरिका
के हुक्म पर चलता है। इन्हे सुन्नी बुला कर मीडीया और अमेरिका अवाम मे शीया
- सुन्नी फसाद करना चाहता है ताकि अम्नो अमान खतरे मे पद जाए और अमेरिका
और उसके टट्टू आराम से लोगो पर राज करते फिरे।
सिरिया
मे सदरी इंतेखाबात (Presidential Elections) के बाद, २ जून २०१४ ko जब ये
बात साबित हो गई के मुल्क की तमाम अवाम बशर अल असद के साथ है, जिनमे शीया,
सुन्नी, ईसाई, यहुदी और दीगर मज़हिब के लोग शामिल है, इन्ही आतंकवादियों ने
४ जून, २०१४ से इराक़ का रुख कर लिया और इराक़ मे फसाद बरपा करना चालू कर
दिया।
इराक़
मे इन देहशतगर्दों ने अभी तक सिर्फ सुन्नी शहरों को अपने क़ब्ज़े मे लिया
है और तक़रीबन १००० से ज़्यादा लोगो की जाने जा चुकी है जिनमे से अक्सर
सुन्नी अवाम है लेकिन मीडीया मे ये बात आम है के ISIS के आतंकवादी शिओ का
क़त्लेआम कर रहे है। ये मीडीया की सोची समझी चाल है।
हमे
इस बात से आगाह रेहना चाहिये के आतंकवादी शीया या सुन्नी नहीं होता बल्कि
वो सिर्फ देहशत फैलाना चाहता है ताकि उसके आक़ा और सरपरस्त, जो आज अमेरिका
और इस्राइल है, अवाम पर राज कर सके।
हमारा
ये फ़रिज़ा है के हम इस बात को समझे और इराक़ के मसले को शीया सुन्नी नहीं
बल्कि इराक़ी और देहशतगरो के बीच की लड़ाई समझ कर अपना साथ अवाम को दे, ना
के देहशतगरो को।
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