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Wednesday, 29 April 2015

Nepal me bhukamp aaya; Upar wale ki madad kyu nahi aai?

नेपाल में भूकंप के झटके आए; उपरवाले की मदद क्यों नहीं आई?

नेपाल में भूकंप के झटके आते ही कुछ लोग खुदा / भगवान / गॉड पर उँगलियाँ उठाने लगे और क़ुरआन, वेद और बाइबिल को गलत प्रूव करने की होड़ में लग गए। अस्ल में देखा जाए तो कुदरती मुश्किलात एक सिस्टम के तहत आती है जिसे खुद बनानेवाले ने कुछ इस तरह से बनाया है की इसका होना बहोत ज़रूरी है और इंसान इससे सबक हासिल करे और अपनी ज़िन्दगी को सुधारे. इन कुदरती मुसीबतों से जान माल का नुकसान होना स्वाभाविक बात है. लेकिन दूसरी तरफ मज़हब इंसान को दुनियावी ज़िन्दगी से ऊपर उठकर देखने के लिए प्रोत्साहित (Motivate) करता है.

जहाँ तक खुदा / भगवान / गॉड के लोगो को बचाने की या मदद करने की बात है, उसने इंसानों को अक्ल दे कर आपस में मेल जोल बना कर रहने को कहा है, ताकि दुनिया रहने के लिए एक अच्छी जगह बन सके. अगर मुसीबत के वक़्त खुदा / भगवान / गॉड मदद के लिए आजाए तो इंसान आपस में मदद की भावना को छोड़ कर समाजी ज़िन्दगी से दूर चला जाएगा. हर मज़हब ये बात सिखाता है की इंसान को एक दुसरे की हमेशा मदद करनी चाहिए और जब कुदरती मुसीबत आए तब और ज्यादा एक दुसरे का ख्याल रखना ज़रूरी हो जाता है.

ऊपरवाले के इसी करम का बदला हम नहीं चूका सकते जो उसने हमें आपसी मुहब्बत और भाईचारे के रूप में दिया है. अब जो लोग ये सोचते और कहते है की ऊपर वाला मौजूद ही नहीं है या एक्सिस्ट नहीं करता; ऐसे हजरात इस मुश्किल का शिकार बन कर बहाने तलाशने लगते है और ऊपरवाले को या उस पॉवर को मानने वालो को तंज़ (taunt) करने लगते है.

जबकि अगर देखा जाए तो कुदरती मुसीबतें हमें खुद उपरवाले से और आपस में एक दुसरे से जोड़ने में बहोत कारगर साबित होती है. यही वह समय होता है जब इंसान रंग, नस्ल, मज़हब के दाएरे को छोड़ कर एक दुसरे की मदद करता है और अगर ऐसा जज्बा अपने अन्दर रखने में कामियाब हो जाए तो ये कुदरती मुसीबत एक
नेमत (reward) से कम नहीं होगी. इंसान की ज़िन्दगी में प्यार, मोहब्बत और भाईचारा सबसे ज्यादा ज़रूरी और हर मज़हब ने इसे बहोत ऊँचे मकाम पर रखा है, इसे हमें समझने की ज़रूरत है.

अब अगर कोई अपनी ज़िन्दगी को खुद अपने हिसाब से जीने की ठान ले और समाजी ज़िन्दगी को इग्नोर करे और दुनिया के कानून / नियम को सिर्फ इसलिए न माने की वो उपरवाले ने बनाए है, तो फिर इसमें मज़हब की गलती नहीं बल्कि उस आदमी की गलती है जिसकी सोच में प्रॉब्लम है. हमें चाहिए की हादेसात
को खुली हुई आँखों से देखे और उसके नतीजो को अच्छे से टटोले, हम ज़रूर देखेगे की बहोत सी चीज़े अच्छे के लिए होती है और दुनिया को रहने के लिए पहले से ज्यादा अच्छी जगह बना देती है.

यहाँ इस बात का ध्यान रखे की कुदरती मुसीबतों के ज़रिये जो जान और माल का नुकसान हुआ उसे कम आंका जा रहा है या उससे कोई खुश है, बल्कि यह बात बताने की कोशिश की जा रही है की ऐसी हालत में हमसे क्या चाहा जा रहा है और वह करने से हमें और समाज को कैसे फाएदा पहोंच सकता है.

Wednesday, 22 April 2015

Saudi Arab ke Yemen par Hamlo ke Pehle Daur ke khatme par kiski jeet?

सऊदी अरब के यमन पर हमलों के पहले दौर के खात्मे पर - किसकी जीत?

मार्च 26, 2015; यमनी राष्ट्रपती अब्दुर रब्बू हादी मंसूर के यमन से सऊदी भाग जाने के बाद सऊदी अरब ने 8 अरब मुल्कों के साथ मिलकर यमन पर घातक हमला कर दिया; जिसे "ऑपरेशन डीसीसीव स्ट्रोम" का नाम दिया। इस हमले का उद्देश यमन में अवाम को सबक सीखा कर हौसियो से दूर करना था जिसके लिए सऊदी अरब ने दीगर 8 मुल्को का सहारा लिया।

एक महीने तक बमबारी चलती रही और मज़लूम अवाम मरती रही, जिसमे बच्चे, बूढ़े, औरतें सब शामिल थे। इस दौरान तक़रीबन 2800 लोगो की जाने गई। मारने वाले इस्लाम के मुक़द्दस हरमैन शरीफैन के खादिम, आले सऊद, जो अपने आप को मुस्लमान कहते है।  और मरने वाले भी यमनी मुसलमान। बहाना सिर्फ ये की आप हमारे चुने हुए राष्ट्रपती को नहीं मान रहे इसलिए मरने के लिए तैयार हो जाओ।

एक महीने तक चली बमबारी ने यमानियों को और मज़बूत कर दिया। यमन की राजधानी सना में और दूसरी जगहों पर तक़रीबन रोज़ सऊदी मुखालिफ एहतेजाज हो रहे थे।  मीडिया दिखा रहा था की जंग सिर्फ हौसियों के खिलाफ है, लेकिन माजरा कुछ और था। यमन में शिया हौसी और सुन्नी शाफ़ई एक हो गए थे। यही यमानियों के लिए सबसे बड़ी कामियाबी बनी।

दुनिया के सभी बड़े मीडिया आउटलेट पूरी ताक़त लगा कर इस बात को साबित करना चाह रहे थे कि यमन में शिया सुन्नी तज़ाद है। लेकिन यमानियों ने साथ आ कर दिखा दिया की लड़ाई फिरके की नहीं है, अपने हक़ की है, अपने देश की और अपनी पहचान की है। 1975 से यमन में अमेरिका और सऊदी की मदद से बना राष्ट्रपती, अली अब्दुल्लाह सालेह राज कर रहा था और अपनी मरज़ी से यमन को चला रहा था। अवाम ने एहतेजाज कर के सालेह को तो 2013 में निकाल बहार किया लेकिन सऊदी और अमेरिका ने उसी के उप राष्ट्रपती, हादी मंसूर को हेड बना दिया।

अवाम ने इस बार पक्का इरादा कर लिया था। सभी यमनी राष्ट्रपती भवन के पास एक बढ़े एहतेजाज के लिए जमा हो गए और एक ऐसी लहर बनी जिसमे हौसियो के लीडर, अब्दुल मालिक अल हौसी, पुरे यमन के लीडर की सूरत में सामने आए और हादी मंसूर की हुकूमत को अपने हाथ में ले लिया। हादी की सरकार सना से ईडन (यमन की दूसरे बड़े शहर) में ट्रांसफर कर दी गई। लेकिन अवाम में जोश इतना था की ईडन में भी हादी को नहीं रहने दिया गया और आखिर हादी मंसूर सऊदी भाग खड़ा हुआ।

सऊदी ने हमला यह बोल कर किया था की उसे यमन में हादी मंसूर को वापस बिठाना है और हौसियो का असर यमानियो में काम करने का था। आज एक महीने के हमलो के बाद, 2800 लोगो की जान लेने के बाद जब हम यमन की ओर नज़र करते है तो यमनी हौसियो से बहोत क़रीब नज़र आते है। हादी मंसूर से शदीद नफरत का माहोल है जिसके चलते हादी मंसूर का फिर से राष्ट्रपती बन पाना नामुमकिन है। और हौसियो की पोजीशन पहले से बहोत ज़्यादा मज़बूत है। 

21 अप्रैल, 2015 को सऊदी ने ऑपरेशन डीसीसीव स्ट्रॉम के खात्मे का एलान किया लेकिन उसके साथ ही दूसरा ऑपरेशन शुरू करने ऐलान कर दिया। दूसरे मरहले का नाम रखा गया "रिस्टोरिंग होप" (उम्मीद की बहाली), लेकिन नाम से हटकर दूसरे दिन ही सऊदी ने सना और सा'अदा के नए इलाक़ों में हमले शुरू कर दिए।

बात साफ़ है, सऊदी ने हमले जिस मक़सद से किये है उनमे से एक भी पूरा होता नहीं दिख रहा है। सऊदी अरब भागे हुए राष्ट्रपती को वापस उसकी पोजीशन पर बिठा पाया, ना ही हौसियो को सना और ईडन से बहार कर पाया। इसके साथ ही यमन में अल-क़ायदा को खुली छूट मिल गई की वो जेलों से अपने आदमियो को निकालने में कामियाब हो गए और आज खुद सऊदी अरब और यमन दोनों के लिए खतरा बन गए है।

इन सब चीज़ो के साथ यमानियों ने अपना भरोसा हौसियों पर बाक़ी रखा और अपने इज़्ज़त-ओ-वक़ार के लिए लड़ते रहे। हौसी और शाफ़ई एक साथ कंधे से कंधे मिला कर लड़ते दिखाई दिए।

इन सब चीज़ो को देख कर पता चलता है की यमन का मुस्तक़बिल (भविष्य) रोशन और नुमाया है। सऊदी अरब और अमेरिका कभी अपने मक़सद कामियाब नहीं होगे। लेकिन यह बात भी ध्यान में रखना चाहिए कि आगे की राह आसान नहीं है और यमानियों को क़ुरबानी के लिए तैयार रहना होगा। ज़ालिम दिखा रहा है की वह बहोत मज़बूत है, लेकिन मज़लूम जब हक़ की राह पर मज़बूती से खड़े होते है तो ज़ालिम उनका कुछ नहीं बिगाड़ पता।

Monday, 20 April 2015

Leader of Ansarullah Sayed Abdul Malik Al Houthi delivers a speech



  • अब्दुल मालिक हौसी ने अपना खिताब यमनी लोगो के ज़बरदस्त मुकाबले और रेजिस्टेंस की तारीफ से शुरू किया और हमला करने वाले अरब गिरोह की तम्बीह की।

  • हौसी लीडर ने उन देशो का भी शुक्रिया अदा किया जो इस मुश्किल घडी में यमन के साथ खड़े है

  • अमेरिका इस हमले के पीछे का असली खिलाडी है, जो अवाम और लोगो को मार रहा है।  सऊदी तो बस सामने खड़े रहने वाला छोटा सा पिद्दू है।

  • सऊदी हमले के पहले यमन में दोनों गिरोह डायलॉग कर रहे थे, और मसले का हल तलाश किया जा रहा था। ये सब UN के निगरानी में हो रहा था।  और यही हमारा अहम और पहला रास्ता रहा है।

  • जो भी इस हमले की हिमायत कर रहा है, उसमे और इसरायली नेतन्याहू में कोई फर्क नहीं।

  • ये हमला सऊदी सरकार की अंधी नफरत और ज़ालिमाना फ़िक्र को दिखता है। यह हमला यमन पर नाजायज़ और नापाक हमला है।

  • अनसरल्लाह और हमारे दूसरे साथी बातचीत के लिए हमेशा तैयार रहे है और हाथ मिलाने के लिए आमादा है।

  • सऊदी अरबिया चाहता है की हम यमन की सरकार और दीगर हिस्सों से दूर हो जाए, ताकि अल-क़ायदा अंदर दाखिल  हो कर यमन को  खोकला कर सके।

  • सऊदी ने बातचीत के रास्ते को बंद करने के लिए मक़ामी लोगो का सहारा लिया, ताकि वे हमला कर सके।

  • अगर अल-क़ायदा को खुला छोड़ दिया जाए तो वे पुरे यमन को अपनी चपेट में ले सकते है। और उसका खामियाज़ा यमनी जनता को भुगतना पड़ेंगा।

  • सऊदी सरकार ने अल-क़ायदा को खुली छूट दे कर यमन का मुकल्ला नामी इलाक़ा उनके कंट्रोल में दे दिया और उनकी मदद के लिए उन्हें हवाई जहाज़ों के ज़रिये हथियार भी मुहैय्या कराए।

  • साउथ यमन में ये किसी भी गिरोह के लिए अक़्ल में आने वाली चीज़ नहीं है की वे अल-क़ायदा के साथ जुड़ जाए

  • सऊदी अरब के इस हमले से सबसे ज़्यादा फायदा जिसने उठाया वो है इजराइल और अमेरिका; ये बात सबके सामने है।

  • सऊदी कभी नहीं चाहेगा की यमन कभी आज़ाद और मज़बूत हो। और उसी तरह ये भी नहीं चाहेगा की यमनी अवाम अम्न और चैन से ज़िन्दगी गुज़ार सके।

  • यमन के लोगो के इस क़ायम से, ख़ुसूसन हौसी क़ायम से, ईरानी दबदबे का कोई लेनदेन नहीं है। ईरान एक बहोत बड़ा इस्लामी निज़ाम है। और सऊदी के खुद अपने मफाद है।

  • फिलिस्तीन गवाह है कि मज़लूमो की हिमायत में यूनाइटेड नेशंस ने कभी कोई किरदार नहीं निभाया।

  • इसलिए इस हमले को किसी भी तरह का हक़ या जवाज़ हासिल नहीं है। ना यूनाइटेड नेशंस की जानिब से क़बूल है न किसी और वर्ल्ड पावर की जानिब से।

  • अल्लाह फ़रमाता है: अगर कोई तुम पर हमला करे, तो तुम भी उसपर उतनी ही तेज़ी से हमला करो।

  • यमनी जनता नहीं झुकेंगी। हम अल्लाह पर भरोसा करते है और मज़बूत अक़ीदा रखते है। जबकि बाक़ी लोग अमेरिका के भरोसे जी रहे है।

  • ये हमारा हक़ है की हम अपने देश और लोगो की इस हमले के मुकाबले में दिफ़ा करे, जब तक ये हमले जारी है, हम किसी भी तरह  यह मुहीम जारी रखेंगे।

  • मै यमनी जनता से गुज़ारिश करूँगा की वो सब्र और इस्तेक़ामत से काम ले, और बेशक अल्लाह सब्र करने वालो के साथ है

  • कोई भी सियासी गिरोह अगर ये सोच रहा है की वह इस सऊदी हमले से कुछ फायदे उठा पाएगे, तो वह गलती कर रहे है। वही लोग हारने वालो में से होगे।

  • मै यमनी अवाम से कहना चाहूंगा की हम हर उस ताक़त से बढ़कर है जो हमारे खिलाफ लड़ना चाहती है। इंशाल्लाह हमें ही ग़ैबी मदद से जल्द ही जीत नसीब होगी।

Syed Hasan Nasrallah ka Yemen ke support rally me khitab (17th April, 2015)



यमन के सपोर्ट की रैली में सैयद हसन नसरल्लाह का खिताब; यमन के समर्थन की रैली में (17 अप्रैल, 2015)

  • मैं आप लोगो का इस्तेकबाल करता हुआ और यहाँ आने के लिए शुक्रगुज़ार हु।
  • आज मैं जज़्बाती  नज़र से आपसे बात करना चाहता हूँ
  • आज, हम अलल ऐलान यमन पर सऊदी और अमेरिकी हमले को धिक्कारते है और हम यमन के लिए हमारी मदद का ऐलान करते है।
  • आज हमें कोई नहीं डरा सकता; बिलकुल नहीं।  हमारे सारे मीडिया चैनल्स यमनी रेजिस्टेंस के लिए हमारी मदद को पेश करते रहेंगे 
  • हम हमारे लेबनानी भाइयो बहनो को उस वक़्त की और उन शोहदा की याद दिलाना चाहते है जब अमेरिका की मदद से इजराइल ने लेबनान पर 1996 में हमला किया था और हमारे कई लेबनानी जवानो के जाने ले ली थी।
  • उस वक़्त को भी याद करिये जब सन 2000 में हमें जीत मिली थी। जिस जीत ने अरब तारीख की हार को जीत में बदल  दिया था।
  • सबसे पहले उन्होंने यमन में जायज़ हुकूमत की बात कही; उसके बाद हौसी क़बीलों से खतरे की बात कही; उसके बाद अब "ईरानी दबदबे के फैलाओ" की बात कर रहे है
  • मैंने पहले भी कहा था कि इस हमले की अहम वजह "यमन पर सऊदी अमेरिकी कंट्रोल" को बहाल करना है
  • हाँ, हम अरब हैं। वे कहते है की यह जंग यमन में "Arabism" की हिफाज़त के लिए है। अरबों के खिलाफ जंग "Arabism" बहाल करने के लिए??
  • आओ और यमन के लोगों को देखो! उनका अहम, सम्मान और बेबाक ज़बान - अगर यमन अरब नहीं हैं, तो अरब कौन है
  • इंडोनेशिया में इस्लाम किसने पहुचाया? येमेनी लोगो ने, उनके मुसाफिरों ने, उनकी तहज़ीब ने। 
  • और ये लोग यमन को Arabism पर भाषण दे रहे है? यह भाषण उन्हें सुनने की ज़रूरत है जो आज यमन पर हमला कर रहे हैं 
  • आज मै उस बात को सामने रखना  चाहता हु जो सबसे ज़्यादा परेशान कर रही है।  कुछ लोग यमन पर इस हमले को "फिरकावाराना" रुख दे रहे है
  • सऊदी अरब के शेख इसे "शिया सुन्नी जंग" के नाम से पुकार रहे है - नहीं, यह यमन पर सऊदी का सियासी हमला है, और कुछ नहीं। 
  • इसके अलावा, वह हरमैन शरीफैन की हिफाज़त की बात कर रहे है। उन्हें कौन नुकसान पहुचना चाहता है? हमारे यमनी भाई? बिलकुल मनघडत बातें है।  
  • लेकिन हाँ! हरमैन शरीफैन को कुछ गिरोह नुक्सान ज़रूर पहुचना चाहते है।  और वो है ISIS और उनका नजरिया 
  • वहाबियत से हरमैन  शरीफैन को सबसे ज़्यादा खतरा है।
  • यह सऊदी रियासत के वही वहाबी दोस्त है जो हमारी इस्लामी विरासत को बरबाद करने की इच्छा रखते है, हमारे नबी () के मक़बरे को, उन के असहाब के निशानियों को मिटाना चाहते है।
  •  मिस्र और भारत (और अब पाकिस्तान ) ने वहाबियत और आले सऊद के नापाक प्लान को, जिसमे वो इस्लामी विरासत और हुज़ूर () के मक़बरे को तोड़ना चाहते थे, उसकी मुखालिफत की
  • सुन्नियों और शियाओं ने मिल कर सऊदी के इस मनसूबे पर आपत्ति जताई और हमारे इस्लामी विरासत की बहोत सी निशानियाँ बरबाद करने पर सऊदी सरकार की सख्त तम्बीह करी। 
  • सऊदी सरकार कह रही हैं कि इस जंग के ज़रिये से वे यमन की रक्षा करना चाहते है। क्या? एक मुल्क को घेर के बमबारी कर के तुम रक्षा कर रहे हो? यह सिर्फ हौसीयों पर घेराबंदी नहीं है बल्कि लाखो येमेनियों पर नाजायज़ कब्ज़ा है 
  • हाँ, सऊदी अरब 'यमन की रक्षा' करने के बहाने नरसंहार कर रहा है - वे इजरायल के इस्तेमाल किये हुए "मानव ढाल (Human Sheild)" लफ्ज़ का बखूबी उपयोग कर रहे है।  
  • अस्पतालो, घरों, खाद्य भंडारण आदि सभी जगह बमबारी कर रहे है और यमन को बरबाद किया जा रहा है।  
  • इस तरह आप किसी की रक्षा  करते है? उन लोगो को मार कर
  • ठीक है, वे कह रहे है की वो यमन की सरकार का बचाव कर रहे हैं; जबकि वो येमेनी फ़ौज और उनके ठिकानो पर एक साथ बमबारी किये जा रहे है।  
  • आइये हम यमन पर हो रहे हमलो का असर देखते हैं। 22 दिन.. हवाई हमले  और अमेरिका का पूरा साथ।
  • सबसे पहले, वे भगोड़े राष्ट्रपती हादी को फिर से बहाल करने में नाकाम रहे - ना वह ईडन में आया ना सना में।  
  • इस हमले से पहले, राष्ट्रपति के रूप में वापस आने के लिए हादी के पास एक मौका था। अब, यह असंभव है - सऊदी सरकार यह जानती है।  
  • इसके साथ ही, वे यमन सेना और हौसियो को ईडन में दाखिल होने से रोकना चाहते थे, लेकिन वे इसमें भी असफल रहे। 
  • आगे देखे तो, वे यमन को अपने आगे झुकाना चाहते थे। नतीजा?? येमेनी सेना और अवाम एक साथ मुखालिफत पर खड़ी हो गई, एक रेजिस्टेंस वाल की तरह। 
  • हवाई हमलों के बावजूद राजधानी में रेजिस्टेंस के लिए प्रदर्शन हो रहे हैं। 
  • उन्होंने यह भी चाहा की यमन में शाफ़ई और ज़ैदी के बीच फिरकावाराना आग लगाने की बहोत कोशिशें की, लेकिन वो नकमियाब रहे। आज पूरा यमन मुत्तहिद (एकजुट) है। 
  • अगर यमन से आले सऊद को कोई खतरा था भी.. तो अब वह साबित है, यह सब आप के "तूफान" की बदौलत हुआ है। 
  • अंसार अल्लाह "अब्दुल मलीक अल हौसी" की क़ियादत के तहत सब्र से काम ले रहे है। सऊदी सरकार की इतनी बमबारी के बाद भी वे सब्र कर रहे है।  
  • कबीलाई समाज एक खुद्दार समाज है। आप इन की महिलाओं और बच्चों की हत्या कर रहे हैं, तो जान लीजिये इसकी बदला क्या होगा?  
  • यमन एक बडा देश है। गाजा में और दक्षिण लेबनान में इजरायली हवाई हमले से कोई फ़र्क़ नहीं पढ़ा; यमन में ऐसे हमलो से क्या हासिल होगा
  • तुमने सऊदी सेना में अरबों डॉलर निवेश किया, फिर भी तुम यमन में कदम रखने की हिम्मत नहीं कर पा रहे हो, इसलिए तुम ने दूसरे मुल्को की सेनाओं को किराए पर लिया है।  
  • कुछ लोग अभी से ही इस "तूफान" के जीत के बारे में बात कर रहे हैं, यह एक भ्रम की तरह है, जैसे इसराइल 2006 की लेबनान जंग के वक़्त बनाना चाहता था। 
  • अभी तक, सऊदी सरकार में राजनीतिक समाधान के लिए कोई आवाज़ नहीं हैं, दुनियाभर के ज़्यादातर लोग जंग ख़त्म करने की मांग कर रहे है। 
  • कुल मिलाकर, यमन के पास रेसिस्टेंस है, लेकिन वे हमेशा से कहते आए है कि वे एक राजनीतिक समाधान के लिए तैयार हैं। 
  • मै पाकिस्तानी सरकार और जनता को यमन के सिलसिले में लिए गए निर्णय पर धन्यवाद देना चाहूंगा
  • जिस तरह मिस्र ने पैगंबर () की कब्र पर आई मुसीबत को रोका, उसी तरह मैं यमन की तबाही को रोकने के लिए आप को दवात देता हु।  
  • हम अपने सऊदी भाइयों की सुरक्षा और स्थिरता चाहते हैं, हम भी इस युद्ध को समाप्त करना चाहते हैं।
  • मैं आज एक सवाल, जो हिज़्बुल्लाह से पूछा गया था, उसका जवाब देना चाहुगा। सवाल था 'क्यों आप अभी आवाज उठा रहे हैं?'
  • हाँ, हमें देर हुई - बहोत देर हो गई, बहुत पहले ही दुनिया हम से आगे निकल गई है। 
  • जहा तक सीरिया का संबंध है, हम ये नहीं मानते की सीरिया में सिर्फ सरकार को निशाना बनाया गया था  - बल्कि पूरे इलाक़े को निशाना बनाने का मंसूबा था।  
  • मैं अपने लेबनानी दोस्तों, ईसाइयो और मुसलमानो को ये बताना चाहता हु की क्या होता अगर "अल - कायदा ने सीरिया को अपने नियंत्रण में ले लिया होता
  • मैं फिर से वही दोहराना चाहुगा जो मैंने 8 मार्च 2005 में कहा था, हम सीरिया का शुक्रिया अदा करते है उनके उस रेजिस्टेंस का जो उन्होंने तकफ़ीरी फ़िक्र में मुकाबले में दिखाया 
  • बहरीन में सऊदी सरकार ने एक पूर अम्न इंक़ेलाब को ख़त्म कर दिया, सभी विपक्षी नेताओ जैसे शेख अली सलमान पर भी बहोत ज़ुल्म किया 
  • हम बहरीन में शांतिपूर्ण समाधान चाहते थे, लेकिन सऊदी सरकार ने ऐसे किसी प्लान को नकार दिया। 
  • कई साल ईरान सऊदी अरब के साथ बातचीत से राजनीतिक समाधान चाहता रहा, लेकिन सऊदी अरब इंकार करता रहा। 
  • सऊदी अरब ने अहंकार दिखाया, वह लेबनान में ,सीरिया में नाकाम रहा.. इसीलिए वह ईरान की बेइज़्ज़ती करना चाहता है।  
  • मैं अरबों और मुसलमानों को आवाज़ देता हु कि सब मिल कर एक साथ सऊदी अरब पर प्रेशर डाले और कहे की "यह जंग बंद करो"।   
  • यह तकफीरी गिरोह, तकफीरी  सोच; जो समाज और दुनिया को बरबाद करने पर आमादा है, किसकी है? किसने इसे पैदा किया और आगे बढ़ाया
  • जी हाँ! सऊदी अरब, बहुत खुले रूप से, इस खतरनाक तकफ़ीरी फ़िक्र को बढ़ाने का जिम्मेदार है।  
  • वे हम से पूछते है कैसे? ISIS इराक के शहरों को नष्ट कर रहा है। यह सोच, यह पैसा, यह फिरकावाराना बातें.. इन सब के पीछे कौन है?  
  • आज फिलिस्तीन इस वजह से खो गया है, इसराइल आज जीतता हुआ दिख रहा है। हमें इसके खिलाफ हमारी आवाज बुलंद करना होगी।  
  • अल क़ायदा, ISIS, अल-नुसरा, बोको हरम, और बहोत से गिरोह.. कौन ईसाइयों की हत्या कर रहा है? इनकी किताबें। यह सब कहाँ से है? (सऊदी अरब से)  
  • मैं विरोधी पार्टियो से कहना चाहूंगा कि शांत हो जाओ और इस "तूफ़ान" की नकली जीत पर जश्न मानना बंद कर दो  
  • मैं लेबनोनियो से भी कहना चाहता हु कि शांत हो जाए, हम लेबनान को एकजुट करने की ख्वाहिश रखते है। हम यमन के विवाद को लेबनान में फैलता नहीं देख सकते।  
  • यमन लड़ेगा। यमन के पास एक बुद्धिमान सेना, नेतृत्व, लोग, बच्चों और औरतें है, यमन ज़रूर जीतेंगा।
  • आप सब के यहाँ आने के लिए आप सभी का शुक्रिया अदा करना चाहूँगा।  
  • वस सलामुन अलैकुम रहमतुल्लाह
स्पीच ख़त्म होती है |