24th May 2015 Sayed Hasan Nasrallah speech
on the anniversary of the Liberation of the South.
- जुनुबी लेबनान की इजराइल से आज़ादी की सालगिरह पर हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह की स्पीच
- आज का दिन आप की, तमाम लेबनानियो की, अरबों की और उन लोगो की जीत का दिन है जो आज़ादी को पसंद करते है.
- आज मैं खास तौर से उन शोहोदा से, उनके घरवालो से, जो लोग क़ैद है जो ज़ख़्मी हुए है और हमारे जंगजू जांबाजो से मुखातिब हूँ जिनकी वजह से हमें ये दिन नसीब हुआ
- मैं सीरिया और ईरान की हुकूमतों का और लोगों का तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हु
- तारीख अपने आप को दोहराती है; जब 1982 में इजराइल ने लेबनान पर कब्ज़ा किया था; बहोत से लेबनानी इजराइल की नियत को जानते थे और ज़िओनिस्त के प्रोजेक्ट से भी बाखबर थे
- लेकिन कुछ लेबनानी चाहते थे की इजराइल लेबनान पर कब्ज़ा करे; कुछ ने तो उनका साथ भी दिया; कुछ उनको आगे बढाने में उनके साथ रहे
- लेकिन वो लोग इन्हें मुक़वामत (रेजिस्टेंस) में यकीन था, उन्हें हकीकी फ़तेह पर यकीन था; और उन्होंने उस फ़तेह को देखा, और उसे पाया – बेरुत से दहये तक और सईदा से जुनूब तक
- सन 2000 के बाद भी, कुछ लोग हमारे बीच मौजूद थे; जो इजराइल को अपने साथी के रूप में देख रहे थे; वो इजराइल की खूंरेजी को जायज़ करार दे रहे थे
- लोगो ने हमेशा रेजिस्टेंस (मोक़वामत) को ईरान और सीरिया के प्रॉक्सी के शक्ल में देखा,
- अमल, हिजबुल्लाह,लेबनानी देशभक्त इस्लामी और ग़ैर-इस्लामी गिरोह, फिलिस्तीनी गिरोह.. सब ने मोक़ावामत (रेजिस्टेंस) दिखाई
- 1982 से 1985 के बिच, 3 सालो में, हमने उन्हें सईदा, बेरुत, पहाड़ो और रशाया से बहार खदेड़ दिया
- 1993.. 96 से 2000 तक.. क़त्लेआम और कुरबानिया दे कर.. खुदा की दी हुई मदद से हमने अपनी ज़मीन को इजराइल के नापाक वुजूद से पाक कर दिया.
- जिन्होंने रेजिस्टेंस में यकीन रखा वो इस जीत को पा सके.. सभी लेबनानी इसे नहीं पा सके
- वो कुछ लोग इन्होने तय किया था की वो डटे रहेगे और लड़ेगे; उन्होंने इस जीत को हकीक़त में बदला. और इसे सारे लेबनानियो के लिए, सारे गाओ और शहरों के लिए आम किया
- वो जीत सारे अम्न पसंद लोगो के लिए थी, जिसमे फिलिस्तीनी भी शामिल है
- हम लोगो को बता देना चाहते हैं की मोक़ावमत, इसके सारे साथी और फौजे सन 2000 के बाद भी उन तमाम लोगो के लिए बहोत नर्म थे जो इजराइल की मदद कर रहे थे
- उस वक़्त अगर रेजिस्टेंस (मोक़ावमत) न होता तो इजराइल बेरुत और बेका तक आ चूका होता
- ऐ लेबनानियो (मेरा मतलब, कुछ लेबनानियो से है), इजराइल अरब लीग और UNSC के लिए नहीं रुका था
- आज हम तकफिरी फितना देख रहे है जो की ISIS के शक्ल में है, आए कुछ हकीक़त पर नज़र डालते है: सऊदी अरबिया (कातिफ), यमन, सीरिया, इराक, वगेरह..
- ISIS एक अलग पड़ा गिरोह नहीं है, ये तेज़ी से बढ़ रहा है. सीरिया में, इराक में, सिनाई में, यमन में, अफ़ग़ानिस्तान में, लीबिया में और कई जगह..
- जैश अल फतह नाम का कोई गिरोह नहीं है, वो नुसरा है, जो अल-काएदा का हिस्सा है
- कुछ लोग नुसरा और ISIS पर बहाने बना रहे है; जैसे इजराइल बनाया करता है
- यह तकफिरी हमारे कल्चर को खतरा है; ज़रा जा कर देखे की ISIS ने अहले सुन्नत अवाम के साथ इराक में क्या किया? उनका साथ दिया या उनके खिलाफ रहे?
- वह शिया, क्रिस्चन, येज़ीदी, तुर्कमन, कुर्द के साथ क्या कर रहे है? सीरिया में अल्वी, सुन्नी वगैरह के साथ इनका बर्ताव देखे
- ISIS सुन्नी फ़िक्र नहीं है; ये हम सब के लिए खतरा है
- इराक में शुरूआती मतभेद के बाद कुछ क़बीलो ने ISIS को मदद की; ISIS ने उन सभी क़बीलो को क़त्ल कर दिया
- इराक की एक जमात “तैयार-अल-मुस्ताक्बल” अब ISIS का अगला शिकार है, ये बात तय है
- कोई अमेरिकन प्रोजेक्ट के बारे में बात करने को तैयार नहीं है; वो लोग हमारे हक और तेल, दोनों को चुरा रहे है
- इजराइल ने लेबनान और गाजा में कई ज्यादा बम गिरे है जितने अमेरीका ने ISIS पर गिराए है
- ISIS अमेरीका की निगरानी में फ़ैल रहा है; और वो येही चाहते है.
- जिन लोगो ने ये यकीन किया की अमेरिकी बमबारी ISIS को ख़त्म कर देगी? ISIS को किसने पैसे दिए? कौन उन्हें मीडिया में बचा रहा है?
- यह लढाई लेबनान, सीरिया और इराक के लिए ज़िन्दगी की लढाई है
- सीरिया में राष्ट्रपती बशार असद की हुकूमत है, वहां नुसरा और ISIS भी है – हम पहले वाले का साथ देते है
- लोग कहते है की अरसाल की जंग से हिजबुल्लाह ने लेबनान को एक बेजा जंग में घसीट लिया है; हम कहते है नहीं. हम चाहते है की आप अपने देश की खुद हिफाज़त करे
- हमें अपने उन लोगो के साथ खड़े रहना है जो बालबेक और हेर्मेल में ISIS ने लड़ रहे है
- हमारे बालबेक और हेर्मेल की अवाम अरसाल और बेका में एक भी आतंकवादी को बर्दाश नहीं करेगी
- हमारी फ़ौज, हमारे लोग और मुक़ावमत; इसी फोर्मुले ने लेबनान को तकफिरी और इसरायली से बचे रखा है
- आज इराक में हमें सिर्फ फ़ौज नहीं चाहिए, वह भी हमें सुन्नी शिया काबिले और एक मशहूर मुक़वामत की ज़रूरत है
- यमन में सऊदी-अमेरिकी हमला कुछ बिगाड़ नहीं सकता, क्युकी वहां यमनी मोक़ावामत और अवाम साथ में खड़े है
- इजराइल ने 1948 में नकबा के बाद में अवाम को मोक़ावामत से अलग करने में कामियाब रहा था; उसके बाद फिलिस्तीनी मसला अपना मकसद खो बैठा था
- आज सभी लोग ISIS को देख रहे है; वो लोग इसे बढ़ने दे रहे है; उसका तेल खरीद रहे है; और इसी वजह से ISIS ने अम्बर, मोसुल, इरबिल, सब जगह अपना कब्ज़ा जमा लिया है
- हम मानते है की हमारी जंग सबका दिफ़ा है, फिलिस्तीन का, यमन का, रमादी का, अरसाल का, अलेप्पो का, लाटाकीआ का.. सभी जगह की हिफाज़त
- सीरिया में हमारा वुजूद हमारे इसी विज़न का नतीजा है और ये हमारा बहोत ज़रूरी विज़न है
- अब चूँकि ISIS सभी के दरवाजों पर आ खड़ा हुआ है, मैं सऊदी हुकूमत से कहता हु की यमन पर अपना हमला ख़त्म करे और एक सियासी पहेल करे
- उसी तरह मैं बहरैन की हुकूमत से भी कहता हु की तमाम सियासी कैदियों को रिहा करे और अपने यहाँ सियासी आज़ादी और रिफॉर्म्स को आगे बढाए
- हम जहाँ कही भी है, हम साउथ लेबनान में ही रहेंगे, और हम यहाँ अच्छे के लिए ही है
- हमारे पड़ोस में हमारा दुश्मन बैठा हुआ है जो हमारे खून का प्यासा है, और साथ में सारे इलाके के लोगो के खून का भी
- ये शोहोदा के खून का असर है की हम आज हिफाज़त से है
- आज मैं सभी के उठ खड़े होने की आवाज़ नहीं लगा रहा हूँ; मैं ऐसा अभी नहीं कर सकता; लेकिन हा, एक दिन ज़रूर ऐसी आवाज़ लगेगी. और उस दिन देखना दसियों हज़ार जंगजू खड़े रहेगे
- मोक़ावमत और हमारी अवाम – 1982 से 2000 तक और फिर 2006 तक.. साथ में खड़े रहे.. अपने वादे को निभाते रहे.
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