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Thursday, 11 June 2015

सय्यद हसन नसरल्लाह इमाम खामेनई के बारे



सय्यद हसन नसरल्लाह इमाम खामेनई के बारे में स्पीच देते हुए (10 जुलाई, 2015)




  • इमाम खामेनई एक हरफनमौला शक्सियत है जो एक साथ बहोत से शोबों में महारत रखते है

  • इमाम खामेनई वली-अम्रे-मुस्लेमीन है. और इस मनसब पर पहुचने के लिए इंसान को बहादुर और अहल होने की ज़रूरत है

  • इमाम खुमैनी (अ.र) की रेहलत के बाद से इमाम खामेनई ने इस ज़िम्मेदारी को बखूबी निभाया है

  • इमाम खामेनई मुश्किल वक़्त में भी उम्मते मुसलेमा के एक काबिल रहनुमा और लीडर बन कर सामने आए है

  • इमाम खामेनई की रहनुमाई में ईरान इलाकाई पॉवर बन कर सामने आया है

  • मगरीबी मीडिया ने हमेशा से इमाम खामेनई के खिलाफ एक मुहीम जारी रखी है जिसमे उन्हें हमेशा से हाशिये पर रखा और कभी अच्छे तरीके से कवर नहीं किया

  • मेरे कुछ हिन्दुस्तानी और पाकिस्तानी बिरादरान का कहना है की जब उन्होंने रहबर से मुलाक़ात की तब उन्हें मालूम हुआ की उनके इलाके के बारे में खुद उन से से ज्यादा मालूमात रहबर को है

  • मेरे इल्म की बिना पर आज की तारीख में दुनिया का कोई और लीडर इल्म हासिल करने में इतना वक़्त नहीं गुज़ारता जितना इमाम ख़ामेनई गुज़ारते हैं।

  • इमाम खामेनई एक ऐसे आलिम और दानिश्वर है जिनका ताल्लुक़ सीधे अवाम से है

  • जो रहबर की किताबे और तकरीर सुनता है, वो उनके खास रेह्बरियत के नुक्कात से वाकिफ होगा

  • जब बात दीनी तालीम की आती है, रहबर किसी की नक्ल नहीं करते, बल्कि उनका पढ़ाने का एक खास तरीका है

  • इमाम ख़ामेनई एक ऐसे फकीह है जिन्हें फिक़्ह का बहुत गहरा इल्म हैं

  • हमें इमाम खामेनई को उनके लिए नहीं बल्कि अपने लिए जानने की ज़रूरत है

  • इमाम ख़ामेनई एक बहादुर और आज़ाद इंसान हैं जो किसी भी किस्म के दबाओ के आगे नहीं झुकते

  • आज हमें ऐसे इस्लामी उलेमा और दनिश्वरो की ज़रूरत है जो हाल के और आने वाले मुश्किलात का सामना कर सके

  • हमारे अम्बिया (अ) हमेशा आगे बढ़ कर तबलीग़ किया करते थे और कुफ्फर हमेशा बचाओ की नीति अपनाते हुए अपने बुतों और मनघडत रुसुमात को बचाते रहते थे. लेकिन अफ़सोस आज इस्लाम डिफेंसिव मोड में है.

  • आज उलेमाओ को चाहिए की मगरीबी और इसरायली सकाफती हमलो का आगे बढ़ कर मुकाबला करे.
  • आज हमें इमाम खामेनई को सभी मुसलमानों के सामने पेश करने की ज़रूरत है; जैसे शहीद बाकिर-अस-सद्र की किताबें सभी जगह पढाई जाती है

  • मैं आज सभी शिया, सुन्नी और दीगर मज़हब के लोगो को इमाम खामेनई की ज़ात से फाएदा उठाने की दावत देता हूँ

वस सलामो अलैकुम व रहमतुल्लाह

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