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Thursday, 16 July 2015

खेल के मैदान से सियासत के मैदान तक; हर बाज़ी ईरान की




21, जून 1998 किसी को याद हो या न याद हो, पूरी दुनिया पर अपनी चौधराहट कायम करने वाले अमेरीका को ज़रूर याद होगा, जब फ्रांस में होने वाले फुटबॉल के वर्ल्ड कप में दुनिया के करोडो लोगो ने अपने घर के टीवी स्क्रीन पे अमेरीका के ग़रूर का नशा उतरते देखा. ईरान के फुटबॉल प्लेयर हामिद एश्तेली ने 20 वे मिनट में अमेरिका के रुखसार पर जो ज़ोरदार किक लगाई इस पर ईरान फांस झूम ही रहे थे की ईरान के जियाले महदवी क्यानामी ने 84 वे मिनट में दूसरा गोआल दाग़ कर पुरे अमेरीका को ईरान से तारीखी शिकस्त खाने में दागदार बना दिया. ये वो पहला मैच था जहाँ मैंने महसूस किया के इंडिया और पाकिस्तान के मैच से कहीं ज्यादा दीवानगी और दिलचस्पी कही और भी मौजूद है.

मैच ख़त्म हो गया लेकिन उसकी लज्ज़त अभी तक बाकी है. पहली बार ऐसा लगा के चुंटी जब हाथी की सूंड में घुस जाए तो कई टन वज़नी हाथी अपनी लम्बी सूंड लहराने के सिवा कुछ नहीं कर पाता, और न चीखने से काम बनता है न चिल्लाने से.

यूँ तो अलग अलग मीडिया सौर्सस से, खास कर हिन्दुस्तानी मीडिया की म्हणत से लोगो के ज़हन में अमेरीका की एक सुपर पॉवर की हैसियत बनी हुई थी, लेकिन इस तस्वीर को परा परा होते हुए पहली बार देखा, हु भी ईरान के हाथो.

अपनी पढाई के दौरान जब ईरान के इन्केलाब की तारीख पढ़ी तो कई बार इस सुपर पॉवर हुकूमत की ईरान के मुकाबले शिकास्त से रूबरू हुआ, कहीं तबस का वकेया तो कहीं अमेरिकन एम्बेसी पर ईरानी इनेकेलाबी जवानों का क़ब्ज़ा और इन्हें रिहा करने में सुपर पॉवर अमेरीका की नाकामी तो कहीं सद्दाम हुसैन डिक्टेटर की खुल कर मदद करने में अमेरीका की शिकस्त और जिमी कार्टर का इस्तीफा, तो कही ईरान के 1988 के सदारती इलेक्शन में अमेरीका के लाखो डॉलर्स की बर्बादी, कही टेररिज्म की आग में ईरान को जलने की कोशिश में टेररिस्ट ग्रुप जुनदुल्लाह के हेड अब्दुल मालिक रेगी जैसे खूखार दरिंदो की अमेरीका की जानिब से खुली हिमायत और ईरान का उड़ते जहाज़ से उसे उतार कर अमेरीका को ज़ोरदार तमाचा, तो कही एडवांस टेक्नोलॉजी से लैस अमेरिकी ड्रोन पर ईरानी स्पेशलिस्ट का कब्ज़ा और नासा में बैठे बेहरुपियो के माथे पर हार के पसीने के गर्म कतरे. ये सब तारीखे इन्केलाबे ईरान का हिस्सा है.

जब से अपने अतराफ में रुनुमा होने वाले मसाएल की सुध बुध आई है, अमेरीका को ईरान के हाथो हमेशा शिकस्त खाते देखा और ये शिकस्त किसी एक मैदान में नहीं, हर मैदान में नज़र आती है. इसी 2015 को ले ले, लोस अन्ज्लेस का खचा खच भरा स्टेडियम वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप की मैच हो रहे थे. ईरान के मुकाबले में रूस और टर्की मु तकते रह जाते है. “मिसम मुस्तफा जुकार” और “हसन यजदानी” के दो के आगे ना “मिट काफ” की चलती है न “ज़ुच्रे” की, नतीजा ईरान का तिरंगा सब से ऊपर जिस पर अल्लाह लिखा है. अल्लाहो अकबर को पूरी दुनिया पर फ़ैलाने का अंदाज़ कोई ईरानियो से सीखे.

इस के कुछ ही दिन बाद वॉली बाल की लीग का तेहरान में खेला गया मैच भी कुछ कम हैरतंगेज़ नहीं था. जहाँ इफ्तार के वक़्त करोडो नाज़ेरिन ने देखा के अज़ान हो रही है और इसके बाद स्टेडियम में मौजूद लोग इफ्तार में मशगूल हो जाते है, फिर मैच शुरू होता है. 12 हज़ार लोगो की कैपिसिटी वाला स्टेडियम “ईरान – ईरान” के नारों से गूंजने लगता है. एक के बाद एक तीनो सेट ईरान के कब्जे में; ईरान 3 – अमेरीका 0.

सर उठाती हुई ताक़ते सर उठाई हुई दुनिया की सुपर पॉवर ताक़त हार गई...

ईरान ने एक बार फिर कमाल किया लेकिन मीडिया ने इस तारीखी जीत को ऐसे भुला दिया जैसे ईरान और अमेरीका के दरमियाँ वॉली बाल का मैच ही न हुआ हो. वॉली बाल, रेसलिंग और फुटबॉल तो खेल के मैदान की बातें है लेकिन आज ऑस्ट्रिया के विएना में जो हुआ, उसे क्या नाम दिया जाए?

सियासत के मैदान से 6 ताक़तवर ममालिक अमेरिकी सर्बरही में और ईरान तनहा पर्दा-ए-गैब में पोशीदा अपने इमाम (अ) की दुओं के साए में.

नतीजा: दुनिया ने देखा के 12 साल की लम्बी बातचीत के बाद नुक्लेअर टेक्नोलॉजी के ईरानी हक को दुनिया ने तस्लीम किया और डिस्कशन के बाद नुक्लेअर डील अमल में आई. यूरोपियन यूनियन की फॉरेन पालिसी लीड ने खुले लफ्जों में एलान कर दिया के “यह एक तारीखी दिन है, क्युंके आलमी ताक़तों ने ईरान के साथ बाई-लेटरल रिलेशन को नया रुख देने पर इत्तेफाक कर लिया है.”

फेडेरिका मोघेरिनी का ये एलान सिर्फ एक हिस्टोरिक अग्रीमेंट के अमल में आने का एलान नहीं बल्कि इस बार सियासत के मैदान में अमेरीका को छोड़ कर ईरान का हाथ उठा कर एक जीत का एलान है के जिस ने खेल से लेकर मिलिट्री, इकनोमिक और सोशल मैदानों में दुनिया के सुपर पॉवर को घुटने टेकने पर मजबूर किया था, आज वोही फिर बाज़ी मार ले गया.

तहरीर: सय्यद नजीबुल हसन जैदी

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