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Tuesday, 21 July 2015

अयातुल्लाह खामेनेई का ईद-उल-फ़ित्र का खुतबा




रहबर-ए-मोअज्ज़म अयातुल्लाह सय्यद अली खामेनेई के ईद-उल-फ़ित्र के खुतबे के इम्पोर्टेन्ट पॉइंट्स:


  • मर्ग बर अमेरीका, मर्ग बर इजराइल के नारों ने हमारे मुल्क का माहोल बदला है, ये सिर्फ तेहरान या बड़े शहरों की बात नहीं है, बल्कि पुरे ईरान का माहोल इन्ही शेआर ने तब्दील किया है.

  • नुक्लेअर डील की कुछ बाते: सबसे पहले मैं मुल्क के प्रेसिडेंट और नुक्लेअर डील के अहलकार, जो इन तवील मुज़केरात का हिस्सा रहे है, की मुल्क के लिए जद्दोजहद को सराहता हु

  • जो बाते JCPOA के तहत एक लीगल फ्रेमवर्क के तहत तय पाई है, अस्ल में उन्हें जैसा तय पाया है होना चाहिए. अगर ये फ्रेमवर्क दोनों पार्टियों की तरफ से कुबूल किया जाए या कुबूल ना किया जाए, हम किसी भी कीमत पर खुदाई मदद से इस डील के ज़रिये हमारी कौम को नुकसान नहीं पहुचने देगे.

  • हमारी दिफई कुव्वत और मुल्क की सिक्यूरिटी अल्लाह की मदद से होती रहेगी और ईरान कभी अपने दुश्मन की ज्यादतियों के सामने घुटने नहीं टेकेंगा.

  • यह डील, अगर कुबूल की जाए या कुबूल ना की जाए, हम अपने इलाके के दोस्तों को कभी अकेला नहीं छोड़ेगे. हमेशा मजलूम फिलिस्तीन, यमन, सीरिया, बहरैन की मदद जारी रहेगी, खास कर लेबनान और फिलितिने के मुखलिस मुजाहेदीन की.

  • हाल में जारी मुज़केरात के चलते और जो डील तय पाई है उसके तहत, ज़ालिम अमेरिकी निजाम के मुक़ाबिल हमारी पालिसीयों में कोई फ़र्क नहीं आएगा. इस इलाक़े में अमेरिकी पालिसी में और इस्लामि जम्हुरिये ईरान की की पॉलिसियो में 180 डिग्री का फ़र्क पाया जाता है.

  • जैसा की पहले बताया जा चूका, हमने अमेरीका से किसी भी इंटरनेशनल, इलाकाई और बाईलेटरल मुद्दों पर बात नहीं की है. हालांकि हमारी तरफ से कुछ ज़रूरी मुद्दों पर कभी कभी गुफ्तगू हुई है जैसे नुक्लेअर डील.

  • अमेरीका लेबनान के मोक़वामती कौमी फ़ौज हिजबुल्लाह को आतंकवादी गिरोह जानता है; जबकि दूसरी तरफ एक हकीकी आतंकी, बच्चो की कातिल, इसरायली रेजीम को जायज़ करार देता है. हम ऐसी पॉलिसियों से कैसे राज़ी हो सकते है?

  • हाल में चल रहे नुक्लेअर मुज़केरात के चलते, जो के हमारे घरेलु मुद्दों की वजह से है, अमेरीका समझ रहा है की उसने ईरान को अटोमी हथियार बनाने से रोक दिया है.

  • अटोमी हथियारों का नुक्लेअर डील की मुज़केरात से से कोई लेना देना नहीं है. कुरान और इस्लामी शरीअत के रौशनी में, हम ये मानते है की अटोमी हथियार बनाना, उसे जमा करना और उसका इस्तेमाल एक नाजायज़ और हराम अमल है.

  • वह लोग दावा कर रहे है की उन्होंने ईरान की अटोमी इंडस्ट्री को झुका दिया और बंद कर दिया. ईरान का झुकना दिन में सपने देखने जैसा है. इस्लामी इन्केलाब के बाद से आज तक 5 अमेरिकी प्रेसिडेंट्स आए, कुछ मर गए और कुछ तारीख में गायब हो गए. सभी येही सोच रहे थे की ईरान को झुका देंगे. आज तुम लोग भी उसी गलती को दोहरा रहे हो.

  • मैं अमेरिकी अफसरान को एक नसीहत करना चाहता हु; आज, आप लोग अपनी पुरानी गलतियों का एतेराफ कर रहे हो जो तुमने ईरान के खिलाफ कई साल पहले की थी. अभी भी वक़्त है, जाग जाओ और जान लो की इस इलाके में तुम लोग फिर से बहोत बड़ी गलतियाँ कर रहे हो.

  • 12 साल के लम्बे अरसे की बातचीत और बारगेनिंग के ज़रिये ईरान ने दुनिया के 6 बड़े मुल्को को ये मानने पर मजबूर कर दिया की कई हज़ार अटोमी सेंट्रीफ्यूज और नुक्लेअर रिसर्च ईरान का बुनियादी हक है.

  • उन्होंने इसी बात पर कई साल गुज़र दिए की नुक्लेअर इंडस्ट्री और रिसर्च को ईरान में ना होने दिया जाए; लेकिन आखिर उन्होंने इस बात को माना, लिखा और साइन भी किया. इसका मतलब ये है की ईरान को हाकिमियत मिली.

  • अमेरिकी प्रेसिडेंट ने कहा है है की वो ईरानी मिलिट्री को आसानी से हरा सकते है. ये बात साबित है की हम जंग नहीं चाहते और ना ही जंग की इब्तिदा (स्टार्ट) करते है. लेकिन अगर हम पर जंग थोपी जाएगी तो लोग ये देखेंगे की जिसकी शर्मनाक हार होगी वो हकिक़तन ज़ालिम और जाबिर अमेरीका की होगी.

  • सूरा नस्र: जब अल्लाह की मदद आ जाए और कमियाबी नसीब हो. और तुम लोगो को देखो की वे अल्लाह के दीन में गिरोह के गिरोह दाखिल हो रहे हो. तो अपने रब की तारीफ़ करो और उसकी बारगाह में तौबा करो. बेशक वह बड़ा तौबा कुबूल करने वाला है.

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