- इमाम खुमैनी ने माहे रमज़ान के आखरी जुमे के रोज़ को फिलिस्तीनी मसले से मंसूब किया ताकि ये मसला जिंदा रहे.
- यमन में सऊदी हमलो के बावजूद लोग यौमे क़ुद्स के रोज़ फिलिस्तीन की हिमायत में दसियों हज़ार की तादाद में अपने घरो से बाहर आए
- यमन की ही तर्ज़ पर बहरैन को भी आलमी सतह पर अकेला छोड़ दिया गया है, लेकिन फिर भी वहा के लोगो ने यौमे क़ुद्स पर रैली निकाली
- मिडिल ईस्ट में इतने ख़राब हालात के बावजूद इतने लाखो लोगो का अपने घरो से बाहर आना लोगो में एक उम्मीद को दिखा रहा है.
- इसरायली अफसरान ने एक मीटिंग बुलाई थी, जिसके खात्मे पर उन्होंने से एनालाइज किया के 150 करोड़ मुसलमानों से उन्हें कोई खतरा नहीं है (मज़ाकिया जुमला)
- जो कुछ आज हमारे अतराफ में हो रहा है, इजराइल को इसका बहोत बड़ा फाएदा है
- सीरिया के आज के हालात इजराइल को मदद करते है; क्युकी इजराइल सीरिया के गोलान की पहाड़ियों को सीरिया से जायज़ तरीक़े से छिनना चाहता है.
- यमन में हो रहे सऊदी हमलो से इजराइल को कोई मसला नहीं है; इजराइल ने तो इस मसले में अपनी मदद की तरफ भी इशारा किया है
- यमन पर हमला सऊदी अरब की तरफ से इजराइल को एक बेहतरीन तोहफा है
- अल्जेरिया में फिरकावाराना दंगे करवाने की भी प्लानिंग की जा रही है
- इजराइल ने ख्वाहिश जताई है की आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए अरब मुल्को से मुहएदा करे; ISIS को वुजूद में ला दिया. इजराइल ने मिस्र को भी मदद करने का दावा किया है और सीरिया में जबात अन नुसरा को भी.
- अगर हकीक़त में देखा जाए तो इजराइल आतंकवाद की अस्ल जड़ है
- ठीक इसी वक़्त इजराइल गाजा पर अपने ज़लिमाना हमले भी जारी रखे हुए है
- दुनिया में सिर्फ एक देश है जो इजराइल के लिए ख़तरा है और इजराइल जिससे डरता है; और वो है इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ़ ईरान
- मोकावामती (रेजिस्टेंस) ग्रुप्स का स्ट्रेटेजिक वुजूद तो है लेकिन उससे इजराइल को इतना खतरा नहीं है जितना ईरान से है.
- सवाल ये उठता है कि “सिर्फ ईरान से डर क्यों?” “क्यों इजराइल बकिया अरब और इस्लामी मुल्को से और 150 करोड़ मुस्लिम उम्मत को नज़रंदाज़ करता है?”
- हम देखेंगे कि पिछले 67 साल में अरब हुक्मरानों ने इजराइल का क्या बिगाड़ा? क्या उन्होंने गाजा की मदद की? क्या ये इस्लामी सुन्नत का हिस्सा नहीं?
- इजराइल ने यमन और सीरिया को बरबाद करने में मदद की और साथ में पुरे इलाके में फिर्क़वारियत को फ़ैलाने में ज़ोर लगा दिया.
- मैं आप को बता देना चाहता हु की जो कुछ भी ईरान को दे दिया जाए; ईरान नेतान्याहू की बात को कभी नहीं मनेंगा (यानी इजराइल के वुजूद को कुबूल नहीं करेंगा)
- इस यौमे क़ुद्स पर मैं सभी मुसलमनो से, ईसाईयों से, रेजिस्टेंस गिरोहों से खुल कर एक बात कहना चाहता हूँ की, “या तो आप ईरान के साथ हो या फिलिस्तीन के खिलाफ”
- दुनिया में ईरानी / सफावी/ शिया हिलाल जैसी कोई चीज़ नहीं है; यह बाते सिर्फ फिलिस्तीनी मसले के हकीकी तरफदार ईरान से ध्यान हटाने के लिए की जाती है
- सीरिया की हुकूमत को गिरने के अब दिन, हफ्ते या साल गिनने की ज़रूरत नहीं है; सिचुएशन बदल गई है; सीरियन अरब आर्मी, NDF और हिजबुल्लाह अपने मुहाज़ पर जमे हुए है और चीज़े बेहतरी की तरफ जा रही है
- अगर आप सीरिया से फोरेनेर्स को बाज़ू रखकर सीरिया के लोगो से पूछेगे तो वो कह रहे है की उन्हें अपने मुल्क में सियासी हल चाहिए ना की मिलिट्री.
- हम हमेशा सीरिया के साथ खड़े रहेंगे
- क़ुद्स की आज़ादी का रास्ता सीरिया से हो कर जाता है, अगर सीरिया गिर गया तो फिलिस्तीनी मुहाज़ भी गिर जाएगा
- सीरिया की ज़मीन पर हमारा हर शहीद हकीक़त में सीरिया और वह की अवाम का शहीद है
- यमन पर 107 दिनों की सऊदी ज्यादती के बाद उन्होंने क्या पाया? सऊदी हकीक़त में हारा है
- यमन में आज की क़ुद्स की रैली इस बात का सुबूत है
- सऊदी का यमन पर हमला सियासी या मिलिट्री की बिना पर हल नहीं होगा; क्युकी यह बदले का हमला है
- इन सब के साथ ही हम कातिफ़, दम्माम और कुवैत की मस्जिदों पर हुए हमलो की कड़ी मज़म्मत करते है. हालांकि इन हमलो पर उम्मत-ए-मुस्लिमा ने अच्छा रद्दे अमल दिखाया
- कुवैत के अमीर और अफसरान का इन हमलो के वक़्त एक अच्छा रिएक्शन आया; जिससे शिया और सुन्नी मसलको के बिच अम्न पैदा हुआ; जिस अम्न को नुकसान पहुचना उन हमलो का मकसद था.
- बहरैन की रैलियां हमेशा से शांतिपूर्ण रही है
- यौमे क़ुद्स के रोज़ हम हिजबुल्लाह वाले अपने वादे को दोहराते है की हम हमेशा ज़ालिम इजराइल के खिलाफ मोक़ावमत (रेजिस्टेंस) करते रहेंगे.
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