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Wednesday, 30 September 2015

2015 हज के हादसात और सऊदी अरब से सवालात




माहे ज़िल्काद के करीब आते ही सारी दुनिया के हाजियों में एक जोश उमड़ पड़ता है की उन्हें अल्लाह के घर, बैतुल्लाह शरीफ, की जियारत करने का शरफ हासिल हुआ. हुज्जाज अपना सारा ध्यान अपने इस मुक़द्दस सफ़र पर रखते है और कोशिश करते है की इस सफ़र पर ज्यादा से ज्यादा अल्लाह को याद करे, माजी में हुए अपने गुनाहों की माफ़ी तलब करे और आने वाले वक़्त में सीधे रास्ते पर चलने का अहद करे.



ग़ैर ज़रूरी चीजों से अपना ध्यान हटाने के लिए हाजी हजरात अच्छे हज टूर आर्गेनाइजर से सर्विसेस लेते है ताकि सफ़र आसन हो और वे अपने हज के अरकान सही से अंजाम दे सके. हज टूर वाले उसी वक़्त अच्छी सहूलत दे सकते है जब मेज़बान सऊदी अरब अच्छे पालिसी बनाए और हाजियों की सहूलत का खास ख्याल रखे.





हज के मौके पर हर साल साड़ी दुनिया से मक्का और मदीना की जियारत के लिए तक़रीबन 30 से 35 लाख हाजी आते है और लगभग 20 दिनों तक इन मुक़द्दस शहरो में रहते है. इन 20 दिनों में हाजियों के रहने, खाने और दीगर सहुलातो का इंतज़ाम सऊदी अरब अपने हाथो में रखता है और किसी को इनमे किसी भी तरह के दखल की इजाज़त नहीं है.



हाल की तारीख में 1990 के बाद से अभी तक के हादसात सऊदी अरब की हज को सही से मैनेज करने में ना-अहली का साबुत देते है. 1990 में 1426 हाजियों की मौत; 1994 में 270, 1997 में 340; 1998 में 180, 2001 में 35; 2004 में 244; 2006 में 360 और इस साल क्रेन के हादसे में 110से ज्यादा हाजियों की जाने गई और कुछ ही दिनों बाद मीना में भगदड़ मचने से हजारो लोग मौत के घाट उतर गए. इस साल की मीना की भगदड़ में मरने वालो की तादाद 4000 तक भी पहुचने के अंदेशा जताया जा रहा है.

70 साल से हज का इंतज़ाम कर रही सऊदी हुकूमत हज के इंतज़ाम के नाम पर हाजियों से मोटी रकम वसूल करती है. जो हज आज से क्कुछ साल पहले तक कम कीमत पर हो जाता था, आज दोगुनी कीमत अदा कर के भी नहीं हो पता. अगर सऊदी हुकूमत अपने आप को खादिम-ए-हरमैन शरिफैन पुकारती है तो फिर हाजियों पर ये इन्तेजामी टैक्स कैसा?
 


हज के इंतज़ाम के नाम पर हरम के अतराफ बड़ी बड़ी इमारते खड़ी करना किस बात की दलील है? आज अगर हम मस्जिद-ए-हरम की तस्वीर देखते है तो मीनारे कम और क्रेन ज्यादा नज़र आती है. इन्ही क्रेनो में से एक क्रेन हज के बिलकुल पहले हाजियों पर गिरी थी जिसमे 100 से ज्यादा लोगो को अपनी जान से हाथ धोना पड गया था. 


इस इलज़ाम से अपने आप को बचाने के लिए सऊदी हुकूमत ने पहले आंधी तूफान और बीजली गिरने का बहाना बनाया लेकिन बाद में इसे कंस्ट्रक्शन कंपनी के नाम पर दाल कर उसे बेदखल कर दिया. इसी के साथ उम्मत-ए-मुस्लिम की नज़र हटाने के लिए सऊदी बादशाह ने हर एक मरनेवाले शख्स के घरवालो को 2 करोड़ रूपये देने का वडा किया और अगले साल दो लोगो को सही हज की दावत दे दी; जिसके बहकावे में भोली उम्मत सऊदी बादशाह को सवाल पूछने की जगह उसकी तारीफ करने लगी.

क्रेन का हादसा उम्मत की आँखे खोलने के लिए काफी था, लेकिन बेहिस और प्रोपेगंडा के बिच दबी हुई उम्मत अपनी नींद से बेदार ना हो सकी और कुछ ही दिनों के बीच दुसरे हादसे ने उम्मत को ग़मगीन कर दिया. मीना की भगदड़ में 1000 से 4000 के बिच लोगो के मरने की खबर है.





इन सब के दरमियान सऊदी खानदान और उनके खास मेहमानों को मखसूस रियायते लोगो की परेशानी की एक बड़ी वजह दिखती है. फिर वो काबे का तवाफ़ हो या जमरात में कंकरी मारना; सऊदी खानदान को हर जगह लोगो पर सबक़त हासिल होती है. जहा लोग तपती धुप में धक्के खाते हुए हज के रुसुमात को पूरा करने की तकलीफ झेलते है; वही सऊदी खानदान ऐश-ओ-आराम से इन अरकान को लोगो को परेशानी में दाल कर पूरा करते है.



आज वक़्त आ गया है की उम्मत सऊदी खानदान से सवाल करे की क्या वजह है के मक्का में हरम के काम के नाम पर बड़ी बड़ी होटल कड़ी की गई, जहाँ पर सिर्फ अमीरों को दाखिल होने की इजाज़त है? क्या वजह है की सऊदी खानदान को खास रियायत हासिल है और दूसरी अवाम को धक्के खाने पड रहे है?


इसी के साथ सऊदी हुकूमत को अपनी लापरवाही और गलतियों के लिए उम्मत-ए-मुस्लिमा से माफ़ी भी मांगनी चाहिए क्युकी ये हादेसात सऊदी हुकूमत के ज़ेरे-एहतेमाम हुए है.



अगर आज सवाल नहीं उठाया गया तो आने वाले वक़्त में कही और बेगुनाह मासूमो की जाने न चली जाए.

तहरीर: अब्बास हिंदी

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